किसी के इतने पास न जा के दूर जाना खौफ़ बन जाये एक कदम पीछे देखने पर सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये किसी को इतना अपना न बना कि उसे खोने का डर लगा रहे इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये तु पल पल खुद को ही खोने लगे किसी के इतने सपने न देख के काली रात भी र न्गीली लगे आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे किसी को इतन ा प्यार न कर के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये उसे गर मिले एक दर्द इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये किसी के बारे मे इतना न सोच कि सोच का मतलब ही वो बन जाये भीड के बीच भी< br />लगे तन्हाई से जकडे गये किसी को इतना याद न कर कि जहा देखो वोही नज़र आये राह देख देख कर कही ऐसा न हो जिन्दगी पीछे छूट जाये ऐसा सोच कर अकेले न रहना, किसी के पास जाने से न डरना न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही, खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही