मेरी कविता सोचा लिखूं कुछ ऐसा, मुझ सा हो, मेरा अपना, हाँ बस मेरे जैसा. एक छोटा सा दोहा, लिखने का सोचा, लेकिन वो सिमटा सा , मुझे बांध ना पाया, इधर से संभाला, उधर कुछ छुटा, दिल का एक गोशा ही, उसमें समाया... लिखने लगी मैं कोई गीत, हर हिस्सा धुन में, लिपट के ना आया, सरगम की तरह, सुरों में बहता, निर्झर सा उछल न पाया, आँखों की चमक को ही, वो समेट पाया... लिखने जो चाही मैंने कहानी, मुझे छोड़ सबका, उसमें जिक्र आया, मैंने उसे पकड़ा, वो मुझे भूल आई, खत्म होने लगी कलम की स्याही, मुझ से जुड़े लोगों को, ही जोड़ पाई.. तब लगी मुझको प्यारी, ये मेरी रचना, जो समेटती है, दिल और दिल की बातें, आँखों की चमक और आँसूं, दोनों को छुपाती, एक सखी सी अपनी. मेरी कविता कहलाती... poem is best medium for me to convey... with a wish, Wish@
your poem is just too good. Me too write in Hindi and blogs in English.I must say you are a potential poet.