Yaadon ki is basti me toofan sa ek aya hai Har soo ojhal hai ankhon se bas ek dhundhla sa saya hai. Mai chup tha, udas ya jadh ho chuka tha....
हर साँस मेरी प्यासी, हर शब्द में उदासी, तेरा ज़िक्र छोड़ के अब हर ज़िक्र में उबासी. यूँ तो हूँ वही मैं बेबाक बेखायाली, पर हर ख़याल तेरे भरते हैं...
हसना खिलखिलाना हमको भी था आता, पर यादों मे तेरी अब भूलने लगे हैं.
उस गैर की शरारत का अस्र है कुछ ऐसा, खुद की ही सोच में अब खुद का नहीं रहा मैं.
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"मृत समाज" -गौरव सिन्हा समाज के यथार्थ को शब्दों में उतारने की एक छोटी सी कोशिश मृत है समाज मृत है दुनिया मृत चलती फिरती काया है. एक मृत को फिर...
कुछ यूँ असर हुआ है, कि बेअसर हुआ मैं, ग़मे इश्क़ ने नवाज़ी हमको खुशी है ऐसी |
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